the silent cityखामोश शहर

सडकें तो खूब बोलती खामोश शहर है

दिन रात जागता है पर बेहोश शहर है

अपनी जुबानों पर लगा ताला खुला नहीं,

उनके इशारों पर खडा बेजोश शहर है

बिजली की तारें घर के किनारों के साथ हैं

बाजार जैसे मौत का पुरजोश शहर है

 

                                          सुजान

About kavisujan

hindi poet- i am write hindi ghazals,kavitatorys etc.
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2 Responses to the silent cityखामोश शहर

  1. vinaydwivedi कहते हैं:

    ताजा गजल खामोश शहर

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