सडकें तो खूब बोलती खामोश शहर है
दिन रात जागता है पर बेहोश शहर है
अपनी जुबानों पर लगा ताला खुला नहीं,
उनके इशारों पर खडा बेजोश शहर है
बिजली की तारें घर के किनारों के साथ हैं
बाजार जैसे मौत का पुरजोश शहर है
सुजान
सडकें तो खूब बोलती खामोश शहर है
दिन रात जागता है पर बेहोश शहर है
अपनी जुबानों पर लगा ताला खुला नहीं,
उनके इशारों पर खडा बेजोश शहर है
बिजली की तारें घर के किनारों के साथ हैं
बाजार जैसे मौत का पुरजोश शहर है
सुजान
ताजा गजल खामोश शहर
vinaydwivedi ji thanks